मोटी रकम ऐठने के बाद भी बिल्डिंगें कर दी बुक।
दिल्ली नगर निगम अपने भ्रष्टाचार के लिए प्रसिद्ध है, 2022 में निगम चुनाव में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद उम्मीद जगी थी कि अब दिल्ली नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार पर लगाम लग जाएगी लेकिन हुआ इसके बिल्कुल उलट! शास्त्री नगर वार्ड में तो बीते एक साल में दिल्ली नगर निगम की दादागिरी जमकर चल रही है।
City SP ज़ोन के बिल्डिंग विभाग के जे.ई. वरुण ने शास्त्री नगर क्षेत्र में कोहराम मचा रखा है इलाके में बनने वाले हर छोटे-बड़े मकान से बिल्डिंग प्लान के अनुरूप ना बनने वाली बिल्डिंगों से घुस की मोटी रकम मिलने के बाद भी बिल्डिंग को बुक किया जा रहा है।
शास्त्री नगर वार्ड के कई बिल्डरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पहले 100 गज के मकान के प्रति लेटर के लिए 70 से 90 हजार रुपए के हिसाब से घूस ली जाती थी लेकिन जब से यहां पर जे.ई. वरुण आया है तभी से ये रेट एक से सवा लाख प्रति लेन्टर हो गया है।
बीते दिनों क्षेत्र में लगभग 40 बिल्डिंग को नोटिस देकर बुक किया गया है जबकि इसी जे.ई. वरुण कि लिखित शिकायत स्थानीय निगम पार्षद ने दी थी इसके बाद इसे इस वार्ड से ट्रांसफर कर दिया गया था लेकिन कुछ दिनों बाद ही इस वार्ड में दोबारा से ट्रांसफर कर दिया गया है। गौरतलब है कि जिस अधिकारी को शिकायत के कारण हटा लिया गया हो उसे बाद में दोबारा उसी वार्ड में क्यों भेज दिया गया। कई बिल्डरों का ये भी कहना है कि स्थानीय विधायक के इशारों पर ही जे.ई. वरुण काम कर रहा है क्योंकि निगम का मेयर आम आदमी पार्टी का है और विधायक मेयर पर दबाव बनाकर अपने हिसाब से उनके से काम करवाता है और इस जे.ई. वरुण द्वारा इस क्षेत्र के लोगों को परेशान किया जा रहा है।
लोगों का ये भी कहना है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को शीघ्र ही यहां से ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए क्योंकि आम व्यक्ति अपने जीवन भर की गाढ़ी कमाई का तिल-तिल जोड़कर ही अपने लिए आशियाना बनाता हैं और ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों से व निगम की मार से बचने के लिए घूस देने को मजबूर होता है बावजूद इसके भी उनके आशियानों पर हथौड़े चलाएं जाते हैं और ऐसे अधिकारियों द्वारा परेशान किया जाता हैआखिर मकान बनाने वाले क्यों देते है जे.ई. बिल्डिंग विभाग को रिश्वत ?
जब कोई व्यक्ति अपना मकान बनाता है तो उसके लिए उसे बिल्डिंग प्लान पास करवाना होता है चाहे आपकी प्रॉपर्टी 20 गज की हो या 2000 गज की? सभी के लिए बिल्डिंग प्लान नियम बराबर है । शास्त्री नगर अनऑथराइज्ड रेगुलराइज कॉलोनी है और यहा ज्यादातर मकान छोटे है ऐसे मे छोटे मकानों को बिल्डिंग प्लान के अनुसार बना पाना मुश्किल है लिहाजा बिल्डिंग मे कवर्ड एरिया व छज्जों को नजरंदाज करने के नाम पर ही दिल्ली नगर निगम का बिल्डिंग विभाग रिश्वत लेता है।
एक कहावत है कि बेईमानी का काम ही सबसे ईमानदारी से होता है ऐसे मे जिस नियम को नजरंदाज करने कि रिश्वत अधिकारी ने ली है और उसी नियम का हवाला दे कर नोटिस देना और बिल्डिंग बुक करना क्या वाजिब है?
कुछ लोग कहेगे कि रिश्वत लेना गुनाह है तो रिश्वत देना भी तो गुनाह है इसका सीधा-सीधा जवाब है कि रिश्वत देने वाले को सजा मिल गई कि उसका पैसा भी गया और बिल्डिंग भी बुक हो गई लेकिन रिश्वत लेना वाला तो मजे मे रहा पैसा भी हजम कर लिया और उस पर कोई कार्यवाही भी नहीं हुई। ऐसे मे ऐसे भ्रष्ट अधिकारी को भी सजा मिलनी चाहिए उसे नोकरी से तुरंत निकाल देना चाहिए।