राजधानी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट में रविवार शाम को लगी आग पर फिलहाल काबू पा लिया गया है। लैंडफिल साइट पर रविवार शाम 5 बजकर 22 मिनट पर आग लगी थी। शुरुआत में फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां यहां भेजी गई थीं। बाद मे आठ गाड़ियां यहां भेजी गई थीं।
राजधानी दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट में रविवार शाम को लगी आग पर फिलहाल काबू पा लिया गया है । लेकिन इस घटना ने एक बार फिर दिल्ली के ‘कूड़े की पहाड़’ की समस्या को उजागर कर दिया है। दिल्ली के घरों से हर दिन 11 हजार टन से ज्यादा कूड़ा निकलता है। इसमें से 35 फीसदी कूड़ा लैंडफिल साइट में डम्प कर दिया कर दिया जाता है। आग पर भाजपा और आम आदमी पार्टी एक दूसरे पर निशाना साधते रहे। एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष सरदार राजा इकबाल सिंह ने कहा कि यह एमसीडी में आम आदमी पार्टी की नीचता को दर्शाता है।
दिल्ली फायर सर्विस के मुताबिक, लैंडफिल साइट पर रविवार शाम 5 बजकर 22 मिनट पर आग लगी थी। शुरुआत में फायर ब्रिगेड की दो गाड़ियां यहां भेजी गई थीं। बाद मे आठ गाड़ियां यहां भेजी गई थीं। पूर्वी दिल्ली के आम आदमी पार्टी से उम्मीदवार कुलदीप कुमार ने आग बुझने का दावा किया है।
आग की वजह से लैंडफिल साइट के आसपास रहने वालों को कई दिक्कतें हो रहीं हैं। एक स्थानीय ने न्यूज एजेंसी को बताया कि आग लगने की वजह से आने-जाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। आस-पास रहने वाले लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामना कर रहे है।
इस बीच सियासत भी खूब देखने को मिल रही है। दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2023 तक तीनों लैंडफिल साइट को हटाने का वादा किया था, लेकिन भ्रष्टाचार का खेल खेला गया। उन्होंने कहा कि जब बीजेपी सत्ता में आएगी तो एक साल के भीतर तीनों लैंडफिल साइट को हटा दिया जाएगा।
देश की राजधानी दिल्ली को लंदन होने का दवा किया जाता है। इसी राजधानी में तीन लैंडफिल साइट है। लैंडफिल साइट उसे कहा जाता है, जहाँ शहर भर का कूड़ा-कचरा इकट्ठा किया जाता है। दिल्ली के ओखला, गाजीपुर और भलस्वा में लैंडफिल साइट हैं।
इन तीनों जगह दिल्ली में पहाड़ दिखाई देते है कूड़ों के। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, 31 अक्टूबर 2023 तक ओखला साइट पर 36.62 लाख टन कचरा जमा हुआ था। भलस्वा साइट पर 61.25 लाख टन का कूड़ा इकट्ठा था। सबसे ज्यादा 81.33 लाख टन कूड़ा गाजीपुर लैंड साइट पर था। दिल्ली में सबसे बड़ा कूड़े का पहाड़ गाजीपुर लैंडफिल साइट में ही है। जुलाई 2019 में इसकी ऊंचाई 65 मीटर तक पहुंच गई थी। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की 2022-23 की रिपोर्ट के मुताबिक, राजधानी के घरों से हर दिन 11,352 टन कचरा निकलता है।
गाजीपुर लैंडफिल साइट बहुत बड़ी समस्या बनती जा रही है। 1994 में बनी इस साइट पर साल दर साल कूड़ा इकट्ठा ही होता जा रहा है। 2021 में गाजीपुर लैंडफिल साइट में चार बार आग लगने की घटना सामने आई थी। इससे पहले 2017 में इसका कुछ हिस्सा सड़क पर गिर गया था, जिससे दो लोगों की मौत हो गई थी।
सरकारें क्या कर रही है ?
दिल्ली नगर निगम का दावा है कि राजधानी की तीनों लैंडफिल साइट को अगले दो साल में पूरी तरह से हटा दिया जाएगा। दिल्ली में इसी साल फरवरी में पहली इंजीनियरिंग लैंडफिल साइट खुली है। लगभग साढ़े 42 करोड़ रुपये की लागत से बनी ये साइट 15 एकड़ में फैली है। ये लैंडफिल साइट दक्षिण-पूर्वी दिल्ली तेहखंड इलाके में बनी है। यहां से सालाना 9.65 लाख टन कूड़े का निपटान किया जा सकेगा। इस साइट के चारों ओर साढ़े तीन मीटर दीवार बनाई गई है। इसे सड़क से कई मीटर दूर बनाया गया है, ताकि लोगों को आने-जाने में कोई परेशानी न हो। ओखला लैंडफिल साइट को इस साल के आखिर तक बंद कर दिया जाएगा। दावा है कि यहां पर अब नया कूड़ा नहीं डाला जा रहा है। वहीं, भलस्वा साइट को दिसंबर 2025 और गाजीपुर को दिसंबर 2026 तक हटा दिया जाएगा।
दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, इन तीनों साइट को क्लियर करने में 250 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। ओखला साइट पर 50 करोड़, भलस्वा पर 75 करोड़ और गाजीपुर पर 125 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।