सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसले में साफ कर दिया है कि मतदान ईवीएम मशीन से ही होगा। ईवीएम-वीवीपैट का 100 फीसदी मिलान नहीं किया जाएगा। 45 दिनों तक वीवीपैट की पर्ची सुरक्षित रहेगी। ये पर्चियां उम्मीदवारों के हस्ताक्षर के साथ सुरक्षित रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के वोटों की वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों से 100 फीसदी सत्यापन की मांग वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने बैलेट पेपर से मतदान कराने वाली याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने दो निर्देश दिए हैं- पहला यह है कि सिंबल लोडिंग प्रक्रिया पूरी होने के बाद सिंबल लोडिंग यूनिट (एसएलयू) को सील कर दिया जाना चाहिए और उन्हें कम से कम 45 दिनों के लिए सहेज कर रखा जाना चाहिए। इसके अलावा दूसरा निर्देश यह है कि उम्मीदवारों के पास परिणामों के एलान के बाद इंजीनियरों की एक टीम की ओर से जांचे जाने वाले ईवीएम के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम को पाने का विकल्प होगा। इसके लिए उम्मीदवार को नतीजों के एलान के सात दिनों के अंदर आवेदन करना होगा। इसका खर्च भी उम्मीदवार को खुद को उठाना होगा।
ये VVPAT क्या है?
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) और इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) ने 2013 में VVPAT यानी वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल मशीनें डिजाइन की थीं। ये दोनों वही सरकारी कंपनियां हैं, जो ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें भी बनाती हैं।
कैसे काम करती है ये?
वोटिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए VVPAT को लाया गया था। ये मशीन ईवीएम से कनेक्ट रहती है। जैसे ही वोटर वोट डालता है, वैसे ही एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची में उस कैंडिडेट का नाम और चुनाव चिन्ह होता है, जिसे उसने वोट दिया होता है।
VVPAT की स्क्रीन पर ये पर्ची 7 सेकंड तक दिखाई देती है। ऐसा इसलिए ताकि वोटर देख सके कि उसका वोट सही उम्मीदवार को गया है। 7 सेकंड बाद ये पर्ची VVPAT के ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।