आज के समय में प्यार की तुलना हवस व लालच रूप में बदल गयी है

नई दिल्ली। एक समय हुआ करता था जब प्यार में परवान चढ़े आशिक़ किसी भी हद्द तक जाने को हर पल तैयार रहते थे , लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे लोगों के बीच प्यार की परिभाषा बदलती गई। आज के समय में प्यार की तुलना हवस व लालच रूप में बदल गयी है। हाल ही में ऐसी कई मामले सामने आये हैं जिसकी वजह से विश्वास उठता जा रहा है। ऐसी ही घटना दिल्ली के सिविल लाइन्स से सामने आयी है जहां एक प्रेमिका ने अपने ही प्रेमी पर वैलेंटाइन सरप्राइज के नाम पर अपने भाई और उसके दोस्तों के साथ मिलकर जानलेवा हमला किया।

मूलरूप से बिहार के दरबंगा के रहने वाले गौतम चौधरी (25) जो पेशे से इंजीनियर हैं उनकी सोशल मीडिया के जरिए एक लड़की से जान पहचान हुई जो कुछ दिनों दोस्ती में बदल गई और ये दोस्ती प्यार के रूप में तब्दील हो गई। इस बीच गौतम ने लड़की को कई अनमोल चीज़ें जैसे घडी , लैपटॉप , और रिंग , अदि चीज़ें उपहार के तौर पर दी। इस दौरान गौतम और साधना (20) ने अपने परिवार वालो को अपने प्यार का इज़हार किया जिसके बाद राज़ी और ख़ुशी से परिवार वालों ने उन दोनों की सगाई करवा दी। हालांकि कुछ समय बाद साधना ने धीरे-धीरे
गौतम को नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दी और लड़के के परिवार वालों के नंबर भी ब्लॉकलिस्ट में डाल दिए। लड़की के इस ख़राब रवैये से गौतम ने शादी से इंकार कर दिआ व अपने दिए उपहारों को वापस करने की मांग की। इस बीच गौतम को साधना ने
वैलेंटाइन डे के सरप्राइज के नाम पर उसे सिविल लाइन स्थित एक पार्क में बुलाया। मिली जानकारी के अनुसार गौतम सुबह के करीब 8:30 बजे पार्क पहुंचा। साधना ने गौतम की आँखों में पट्टी बांध दी और उसे इंतज़ार करने को बोला। गौतम इस बात से अनजान था की आँखों में पट्टी उसे मौत के करीब ले जा रही है। आँखों में पट्टी पहनाते ही झाड़ियों में घात लगाए साधना के भाई व साथियों ने गौतम पर धारदार हथियार से हमला कर दिआ। गौतम की गर्दन 75% कटा जिससे उसकी वोकल कॉर्ड पूरी तरह से ख़राब हो गई उसके कई अंगों पर काफी गहरा वार किया गया। उसके बाद साधना के साथियों ने उसे झाड़ियों में फेक दिआ। हालाँकि आपको बता दें किसी व्यक्ति ने सिविल लाइन्स थाने को सूचित किया व पुलिसकर्मियों ने गौतम को समय रहते LNJP अस्पताल में भर्ती कराया जिससे उसकी जान तो बच गई लेकिन उसके घाव इतने गहरे हैं की शायद ही गौतम उनसे कभी उभर पायेगा या शायद कभी बोल पायेगा|
Vinayak Kumar
Author: Vinayak Kumar

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