



by Narender Dhawan
भारत का नाम दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में अव्वल नंबर पर हो गया है और चीन खिसककर दूसरे पायेदान पर आ गया है। आंकड़ों में सामने आया, कि भारत की आबादी की 68 प्रतिशत जनसंख्या 15 से 64 वर्ष के आयु के लोगों की है।
भारत ने अपनी बढ़ती आबादी के दम पर चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। सयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार 142.86 करोड़ की जनसंख्या के साथ भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है। यह आंकड़े चौकाने के साथ-साथ गंभीरता का विषय है क्योंकि किसी भी देश की बढ़ती आबादी उसकी अर्थव्यवस्था पर असर डालती ही है।
अब आबादी के मामले में चीन दूसरे नंबर पर पहुंच गया है वहीं जनसंख्या के मामले में यूएसए यानि अमेरिका तीसरे नंबर पर है।
यूनाइटेड नेशन पॉपुलेशन फंड की रिपोर्ट के अनुसार भारत की आबादी 142. 86 करोड़ हो गई है जबकि चीन की आबादी 142. 57 करोड़ है। जिसके अनुसार इन दोनों की जनसंख्या में 29 लाख का ही अंतर है।
ताजा आंकड़ों के हिसाब से भारत में चीन के मुकाबले महज 29 लाख से ज्यादा लोग है। जिसकी वजह से देश की आबादी बढ़ते-बढ़ते 150 करोड़ का आकडा छूने को है। चीन की आबादी कम होने का मुख्य कारण वहां बच्चे पैदा होने की कम दर है जोकि माइनस में दर्ज की गई है।
पहली बार आबादी के मामले भारत बना है नंबर वन.
ऐसा पहली बार हुआ है, कि भारत की आबादी ने चीन को पीछे किया है। 1950 के बाद पहली बार भारत की जनसंख्या चीन से ज्यादा दर्ज की गई है। दरअसल, 1950 के बाद से संयुक्त राष्ट्र ने जनसंख्या डाटा को एकत्र करने का काम शुरू किया है और अब साल 2023 के भारत के जनसंख्या के आंकड़े चौकाने वाले है।
भारत और चीन के आयु वर्ग में अंतर
रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 25% आबादी 0-14 आयुवर्ग की है वहीं 10-19 आयुवर्ग के लोग 18% है। इसके अलावा 26% लोग 10-24 साल तक के है और 15-64 आयु वाले लोग 68% और 65 से ऊपर के लोग 7% है।
वहीं अगर चीन की जनसंख्या की बात करे तो चीन में 20 करोड लोग ऐसे हैं जिनकी आयु 65 वर्ष से अधिक है यानी यहां वृद्ध लोगों की संख्या अधिक है। कुछ समय पहले चीनी सरकार ने 1 बच्चे वाली नीति लागू कर दी थी जिसकी वजह से लोगों ने बच्चे पैदा करना ही छोड़ दिया। जिसका असर चीन में अब इस तरह देखने को मिला है।
इस पुरे प्रकरण में कई बाते है की क्या ये भारत के लिए खुश होने की बात है या एक चिंता का विषय है क्युकी किसी भी हाल में इतनी बड़ी आबादी के लिए शिक्षा ,रोज़गार, व अन्य जीवनयापन की सुविधाएं मुह्हैया करवाना भी बड़ी चुनौती होगा।
साथ ही ये भी गौर करना होगा की आखिर किस वर्ग के लोगो में आबादी का इज़ाफ़ा हुआ है। क्या ये सब भारत को एक असामनता की और तो नहीं ले जा रहा ?
जिसका समाधान सरकार को निकालना ही होगा जिस के लिए कॉमन सिविल कोड की तरफ बढ़ना एक पहल होगी।
