International Nurse Day 2023 :आज मनाया जा रहा है अंतर्राष्ट्रीय नर्स दिवस,जाने क्यू मनाया जाता है ये दिन और कौन थी ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल’

पहले के समय में नर्स के पेशे को एक सम्मानजनक पेशा नहीं माना जाता था लेकिन आज नर्स के दर्जे को सम्मानजनक माना जाता है। इस पेशे को सम्मानजनक बनाने के पीछे सबसे बड़ा हाथ फ्लोरेंस नाइटिंगेल का है।आइये जानते है की कौन थी ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल’ ।

कौन थी फ्लोरेंस नाइटिंगेल ?
फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक महान नर्स थी,जिन्होंने अपना पूरा जीवन मरीजों की सेवा में बिता दिया।इन्हे ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से भी जाना जाता है और यह दुनिया की सबसे पहली नर्स थी। इनका जन्म 12 मई,1820 को इटली के फ्लोरेंस में एक काफी समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता एक बैंकर थे और परिवार में किसी चीज़ की घटी नहीं थी। फ्लोरेंस के मन में बचपन से ही सेवा करने का भाव था। 16 साल की उम्र में उन्होंने अपने पिता के सामने अपने नर्स बनने के सपने को जाहिर किया लेकिन घरवाले उनके इस सपने से नाखुश हुए तथा उनकी तरफ से उन्हें मंजूरी नहीं मिली थी लेकिन फ्लोरेंस के इस सपने के आगे उनके घरवालों को झुकना पड़ा और उन्हें नर्सिंग की ट्रेनिंग के लिए जर्मनी जाने की इजाजत मिल गई। 1851 में वे जर्मनी गई तथा 1860 में उन्होंने महिलाओं के लिए पहला नर्सिंग हॉस्पिटल खोल। इसी साल क्रीमिया का युद्ध शुरू हो गया। फ्लोरेंस 38 नर्सों को साथ लेकर तुर्किये के एक मिलिट्री अस्पताल में सैनिकों की सेवा करती थी। फ्लोरेंस न सिर्फ उन सैनिकों की सेवा की बल्कि हॉस्पिटल में मौजूद गंदगी को भी उन्होंने साफ़ किया। फ्लोरेंस ने घायल और बीमार सैनिकों की देखभाल में दिन रात एक कर कर दिया ,वे रात में भी सैनिकों के सेवा करती थी। रात के अँधेरे में वह लालटेन लेकर मरीजों को देखा करती थी। उनके इसी निस्वार्थ सेवा की वजह से सैनिक उन्हें ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से पुकारा करते थे। जब फ्लोरेंस युद्ध के बाद लौटी तो उनक यह नाम फेमस होगया और आज पूरी दुनिया उन्हें इस नाम से जानती है।

कब हुई शुरुआत?
अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मानाने की शुरुआत साल 1974 में इंटरनेशनल कौंसिल ऑफ़ नर्सेज की और से हुई थी। हर साल फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन पर अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस को मनाया जाता है।

नर्सिंग के क्षेत्र में दिया जाता है ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल अवार्ड’
नर्सिंग के क्षेत्र में फ्लोरेंस नाइटिंगेल द्वारा दिए गए योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है । नर्सिंग को एक सम्मानजनक पेशा बनाने के पीछे उनका ही हाथ है। आज भी दुनिया में नर्सिंग की प्रशिक्षण पूरी होने के बाद “नाइटिंगेल प्रतिज्ञा” दिलवाई जाती है। नर्सिंग के क्षेत्र में उनके नाम पर मैडल दिया जाता है। ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल मैडल’ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे बड़ा मैडल जाना जाता है।

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