देश की राजधानी दिल्ली में लोग लगातार बीते कई हफ्तों से भारी गर्मी का सामना कर रहे है इससे में दिल्ली के लोगो के लिए बड़ी राहत की खबर है। सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से अगले तीन दिन यानी 26 मई तक अधिकतर इलाकों में बारिश की संभावना है। इससे भीषण गर्मी से राहत मिलेगी।
वर्तमान में दिल्ली के अधिकतर इलाको का तापमान 40 डग्री के पार पहुंच गया है भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार हल्की बारिश व तेज हवा के चलते आने वाले दिनों में तपिश कम होने की उम्मीद है। पश्चिमी विक्षोभ उत्तर पश्चिम भारत से टकरा रहा है। इसका प्रभाव जम्मू-कश्मीर में दिखना शुरू हो गया है। यूपी में भी कुछ स्थानों पर बारिश हुई है। 24-25 मई को इसका असर उत्तर पश्चिम भारत, दिल्ली-एनसीआर में दिखेगा।
अल नीनो क्या होता है ?
एल नीनो शब्द (‘द क्राइस्ट चाइल्ड’ के लिए स्पेनिश) मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के गर्म होने या समुद्र की सतह के औसत से ऊपर के तापमान को संदर्भित करता है। निचले स्तर की सतही हवाएं, जो आमतौर पर भूमध्य रेखा (“पूर्वी हवाएं”) के साथ पूर्व से पश्चिम की ओर बहती हैं, इसके बजाय कमजोर हो जाती हैं या, कुछ मामलों में, दूसरी दिशा (पश्चिम से पूर्व या “पश्चिमी हवाएं”) बहने लगती हैं। एल नीनो की पुनरावृत्ति अनियमित रूप से होती है, दो साल से लेकर एक दशक तक, और कोई भी दो घटनाएँ बिल्कुल एक जैसी नहीं होती हैं। अल नीनो घटनाएं संयुक्त राज्य अमेरिका और विश्व स्तर पर सामान्य मौसम के पैटर्न को बाधित कर सकती हैं।
अल नीनो के चलते इस बार देश में औसत से भी काम बारिश होने का अनुमान है
मॉनसून पर अल-नीनो का प्रभाव जून से शुरू होने की उम्मीद है। प्रमुख जलवायु मॉडल जून से सितंबर के दौरान देश के कई हिस्सों में औसत से कम मौसमी वर्षा होने की आशंका है। अल-नीनो घटनाओं के दौरान आमतौर पर भारत में औसत मौसमी वर्षा (जून-सितंबर) कम दर्ज की जाती है।
इसी वजह से केरल में शुरुआत से मॉनसून में कुछ दिनों की देरी होती है। मॉनसून पूर्वानुमान डेटा के विश्लेषण से संकेत मिले हैं कि मॉनसून की अवधि के दौरान औसत की तुलना में 25 मिलीमीटर (मिमी) कम बारिश होगी। दक्षिण-पश्चिम मॉनसून फिलहाल भारतीय उपमहाद्वीप से कुछ हफ्ते दूर है और इसके तीव्र गति में आने की कमजोर संभावना आंकी गई है।