क्या सुनील बंसल की यूपी में होगी वापसी…….

यूपी में सुनील बंसल की वापसी के ये हैं मायने, क्या फिर संभालेंगे लोकसभा चुनाव की कमान?

उत्तर प्रदेश में भाजपा के महा जनसंपर्क अभियान के साथ सुनील बंसल की वापसी की चर्चा सियासी गलियारों में खूब हो रही है। दरअसल मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर शुरू किए जाने वाले महा जनसंपर्क अभियान के प्रभारी के तौर पर सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। चर्चा अब यही हो रही है यूपी में भाजपा को लोकसभा चुनावों में मैजिक फिगर तक पहुंचाने वाले सुनील बंसल आने वाले चुनाव में परोक्ष या अपरोक्ष रूप से यूपी की कमान संभालेंगे। वहीं पार्टी से जुड़े नेताओं के मुताबिक तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भाजपा के लिए ग्राउंड पर काम कर रहे सुनील बंसल और उनकी टीम अभी भी राज्यों पर मजबूती से नजर बनाकर लोकसभा चुनावों की तैयारियां कर रही है।

ग्राउंड स्तर पर शुरू की सुनील बंसल ने तैयारियां

उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से सुनील बंसल 2014 की तरह ग्राउंड स्तर पर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गए हैं। भाजपा से जुड़े नेताओं के मुताबिक यूपी में शुरू हुए इस महाअभियान में सुनील बंसल अपनी रणनीति के मुताबिक उन जिलों पर और ज्यादा फोकस कर रहे हैं, जहां पर भाजपा लोकसभा का चुनाव हार गई थी। माना यही जा रहा है कि सुनील बंसल के उत्तर प्रदेश में लगाए गए एक दशक के अनुभव को पार्टी एक बार फिर से लोकसभा के चुनाव में इस्तेमाल करने वाली है। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि बंसल ने भाजपा को उत्तर प्रदेश में तब ऑक्सीजन दी, जब यूपी के सियासी मैदान में पार्टी के लिहाज से सूखे जैसी स्थिति बनी हुई थी। उसका ही नतीजा था कि 2014 में उत्तर प्रदेश में भाजपा को बंपर सीटें मिलीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में सीटें कम हुई तो 2024 के लोकसभा के लिए एक बार फिर से सुनील बंसल पर बड़ा दांव आजमाया जाने लगा।

तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में यूपी की तर्ज पर बनी स्ट्रेटजी

भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सुनील बंसल के पास इस वक्त ओडिशा, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे चुनौतीपूर्ण राज्यों में पार्टी का जनाधार तैयार करने की बड़ी जिम्मेदारी भी है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर सुनील बंसल उत्तर प्रदेश में महा जनसंपर्क अभियान के प्रभारी बनाए गए हैं, तो उन राज्यों का क्या होगा, जहां पर बंसल को पिछले साल कमान दी गई थी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि फिलहाल सुनील बंसल उन राज्यों में रुककर लगातार कैंप कर रहे हैं और उत्तर प्रदेश की उसी स्ट्रेटजी के मुताबिक तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के राज्यों में माइक्रो लेवल पर काम कर रहे हैं। पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पार्टी में उन राज्यों में भी बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए पूरी रणनीति तैयार की गई है। वह कहते हैं कि सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश में इस महाअभियान का प्रभारी बनाया गया है, लेकिन ऐसा नहीं है कि तेलंगाना, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से उत्तर प्रदेश में पूरी तरह वापसी करा दी गई है।

कई और बड़े रणनीतिकार जुड़ रहे यूपी की जमीन से

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां बढ़ती जाएंगी, उसी तरह पार्टी के उन जिम्मेदार नेताओं की जिम्मेदारियां भी दी जाती रहेंगी, जो 2014 के वक्त की गई थीं। इसमें सिर्फ सुनील बंसल ही नहीं बल्कि पार्टी के और भी कई बड़े रणनीतिकार शामिल हैं, जिन्हें उत्तर प्रदेश के महाअभियान में शामिल किया गया है। भाजपा से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि भाजपा ने मिशन 2024 की तैयारियां तेज कर दी हैं। यह बात तय है कि उसी के मद्देनजर सुनील बंसल को उत्तर प्रदेश में महाअभियान की कमान सौंपी गई है। सूत्रों का कहना है कि भले ही आधिकारिक तौर पर सुनील बंसल को 2024 के लोकसभा चुनावों की जिम्मेदारी न मिले, लेकिन उनकी रणनीतिक तैयारी 2014 और 2019 की तरह ही इस बार देखने को मिलेगी।

 

तेलंगाना में नहीं चलेगा किसी का जादू: बीआरएस

वही सुनील बंसल उत्तर प्रदेश में महाअभियान का प्रभारी बनाए जाने को लेकर तेलंगाना की बीआरएस पार्टी के नेताओं का कुछ और ही कहना है। पार्टी की विधायक के कविता कहती हैं कि तेलंगाना में उनकी पार्टी बीआरएस के सामने कोई भी दूसरा अन्य दल टिक ही नहीं सकता। इसके पीछे उनका अपना तर्क है कि नए राज्य बनने के साथ ही राज्य के मुख्यमंत्री केसीआर ने जिस तरीके से राज्य में विकास का काम किया और लोगों के साथ हर वक्त खड़े रहे, उससे भाजपा हो या कोई अन्य दल का रणनीतिकार, उसका राज्य में फिलहाल न कोई जनाधार है और न ही कोई रणनीति काम आने वाली है। के कविता कहती हैं कि सिर्फ भाजपा ही नहीं बल्कि सभी बड़े विपक्षी दल इस बात को बखूबी जानते हैं कि यहां पर भी बीआरएस का क्या जनाधार है।

Shanu Jha
Author: Shanu Jha

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