बाघों की मौत बनी रहस्य

 दुधवा में ऐसा क्या हो रहा, जिससे मर रहे टाइगर; 10 दिन में तीन मौतों से उठे सवाल

दुधवा टाइगर रिजर्व में 10 दिन के अंदर तीन बाघों और दक्षिण खीरी वन प्रभाग में एक तेंदुए की मौत से वन विभाग सकते में है। इनमें से दो बाघ और एक तेंदुए की मौत आपसी संघर्ष में होना बताई जा रही है। वहीं, लगातार निगरानी का दावा करने वाले वन विभाग को आठ दिन तक बाघ के शव का पता ही नहीं चला। जब बदबू फैली और खोजबीन शुरू की गई, तब शुक्रवार को तालाब में बाघ का शव मिला।

दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन और कोरजोन क्षेत्र में बाघों की मौत रहस्य बनती जा रही है। गोला रेंज की रायपुर बीट से सटे गदियाना गांव में हुई तेंदुए की मौत का मामला वन विभाग आपसी संघर्ष बता रहा है। बाघ और तेंदुए की मौत की गुत्थी अबी सुलझ नहीं पाई थी कि शुक्रवार को किशनपुर सेंक्चुरी की मैलानी रेंज के तालाब में बाघ का शव मिला। वन विभाग इस बाघ की मौत को भी आपसी संघर्ष बता रहा है।

सड़ने लगा था बाघ का शव

शव के परीक्षण में यह बात सामने निकल कर आई है कि बाघ का शव तालाब के पानी में एक सप्ताह तक पड़ा रहा। इससे उसका शव सड़ने लगा था। ऐसे में बाघों की निगरानी पर भी सवालिया निशान लग रहा है। वन विभाग का दावा है कि बाघों की 24 घंटे बारी-बारी से निगरानी कराई जाती है। बावजूद इसके बाघ का शव आठ दिनों तक पानी में पड़ा रहा और निगरानी टीमों की नजर नहीं गई। शुक्रवार को जब बाघ के शव से दुर्गंध आई तब पता चला।निगरानी टीमों के होश डड़ गए। काफी खोजबीन करने के बाद निगरानी टीमों को कुकरगढ़ा तालाब में खड़ी नरकुल में एक नर बाघ का शव पड़ा दिखाई दिया।

Shanu Jha
Author: Shanu Jha

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