भुवनेश्वर। अनेकता में एकता यानि की भारत। भारत अपने विभिन्न संस्कृति और सभ्यता के लिए जाना जाता है और उन्हीं में से एक है जगन्नाथ रथ यात्रा हिन्दू धर्म में इसकी बहुत मान्यता है।
ओड़ीसा के पुरी में निकलने वाली विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत हो चुकी है। यह यात्रा इस साल 20 जून 2023 से हो रही है।
यह यात्रा हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकलती है। इसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष के 11वें दिन जगन्नाथ जी की वापसी के साथ इस यात्रा का समापन होता है। इस यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। उड़ीसा का जगन्नाथ मंदिर चार पवित्र धामों में से एक है। श्रीकृष्ण के साथ उनके बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की पूजा होती है। जगन्नाथ मंदिर में तीनों की मूर्तियां विराजमान हैं।
पौराणिक मान्यता अनुसार एकबार द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण की बहन सुभद्रा ने द्वारका देखने की इच्छा जताई, तब श्रीकृष्ण यानी जगन्नाथ भगवान ने और बलभ्रद जी ने अपनी बहन को रथ पर बैठाकर द्वारका की यात्रा करवाई थी। कहते हैं इसी उद्देश्य से हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है।
भगवान जग्गनाथ, बलभद्र व सुभद्रा देवी के रथ नीम की पवित्र और परिपक्व लकड़ियों से बनाये जाते है. इन रथों के निर्माण में किसी भी प्रकार के कील या कांटे या अन्य किसी धातु का प्रयोग नहीं होता है. सभी रथ इसमें इतनी हल्की लकड़ियां होती है कि रथ को आसानी से खींची जा सकती है।