मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के बीच आरक्षण को लेकर पिछले 53 दिनों से हिंसा जारी है। शनिवार को ईस्ट इंफाल में सेना ने ऑपरेशन चलाकर प्रतिबंधित संगठन कांगलेई यावोल कन्ना लुप (KYKL) के 12 कैडर्स को पकड़ा था। लेकिन सैकड़ों महिलाओं के विरोध के बाद इन्हें छोड़ना पड़ा।
जानकारी के अनुसार कि सेना ने खुफिया सूचना के बाद इंफाल पूर्व के इथम गांव (एंड्रो से 6 किमी पूर्व) में सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। लोगों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए पूरे इलाके की घेराबंदी कर दी। सुरक्षा बलों ने यहाँ से भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद किया और KYKL के 12 कैडर्स को पकड़ा।
लेकिन उसी दौरान 1200 से 1500 लोगों की भीड़ ने सुरक्षाबलों को घेर लिया। इस भीड़ का नेतृत्व महिलाएं और कुछ स्थानीय नेता कर रहे थे। ये लोग KYKL के 12 कैडर्स को छोड़ने की मांग कर रहे थे। भीड़ को कोई नुकसान न हो इसे देखते हुए सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन रोक दिया और KYKL के 12 कैडर्स को छोड़ दिया। ईस्ट इंफाल के इथम गांव में प्रतिबंधित संगठन KYKL के करीब एक दर्जन कैडर्स छिपे हुए थे। सेना को उनके छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली थी। इसके बाद ऑपरेशन चलाकर 12 कैडर्स को पकड़ा गया था। इनमें संगठन का स्वयंभू लेफ्टिनेंट कर्नल मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम भी शामिल था।
KYKL मैतई समुदाय का एक ग्रुप है। हाल ही में हिंसा में कई जगह इस ग्रुप का नाम सामने आया है। सेना ने बयान की प्रेस रिलीज में कहा गया कि उत्तम 2015 में डोगरा की 6वीं बटालियन पर हमले का मास्टरमाइंड था।
सेना ने स्थानीय लोगों से सहयोग की अपील की सुरक्षाबलों ने भीड़ से कई बार अपील की, लेकिन उन पर कोई असर नहीं पड़ा। सेना अगर भीड़ पर कार्रवाई करती तो लोगों को भी नुकसान पहुंचता। इसलिए सेना ने KYKL के लोगों को गांव वालों को सौंप दिया और सिर्फ जब्त हथियार और गोला बारूद लेकर चली गई। इस घटना के बाद सेना ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे आर्मी के ऑपरेशन में सहयोग करें।
राज्य के CM एन बीरेन सिंह ने रविवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। उन्होंने शाह को राज्य के हालात की रिपोर्ट दी। बीरेन सिंह ने ट्वीट कर बताया- पिछले हफ्ते राज्य में हिंसा काफी हद तक काबू में आ गई। 13 जून के बाद से राज्य में हिंसा के चलते कोई मौत नहीं हुई है। उधर, हिंसा की स्थिति को देखते हुए राज्य में इंटरनेट बैन को 30 जून तक बढ़ा दिया गया है।
बीरेन सिंह ने कहा कि गृह मंत्री ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि राज्य में स्थिति सामान्य करने के लिए केंद्र सरकार हरसंभव कदम उठाएगी।
मणिपुर हिंसा पर शनिवार को हुई सर्वदलीय बैठक में गृह मंत्रालय ने जानकारी दी कि हिंसा में अब तक 131 लोगों की मौत हो चुकी है और 419 लोग घायल हुए हैं। आगजनी की 5 हजार से ज्यादा घटनाएँ हुई हैं। लगभग 6 हजार मामले दर्ज हुए हैं और 144 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। राज्य में 36 हजार सुरक्षा कर्मी तैनात किए गए हैं। स्थिति की निगरानी के लिए 40 IPS ऑफिसर भी तैनात किए गए हैं।
मीटिंग में ज्यादातर विपक्षी पार्टियों ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को हटाने की माँग की। साथ ही कहा कि केंद्र राज्य में शांति स्थापित करने के लिए एक्शन प्लान लाए।
भीड़ ने शनिवार को राज्य सरकार के खाद्य मंत्री एल सुसींद्रो मैतेई के एक निजी गोदाम और वहाँ खड़े वाहनों को आग लगा दी थी। हमला करने आई भीड़ ने मंत्री के घर में घुसने और इमारत को आग लगाने की भी कोशिश की, लेकिन सुरक्षाबलों ने आंसू गैस के गोले दागकर भीड़ को तितर-बितर किया।
खाद्य मंत्री एल सुसींद्रो मैतेई ने पिछले हफ्ते अपने घर के बाहर एक बॉक्स लगाया था और हिंसा में शामिल लोगों से अपील की थी कि वे अपना हथियार इसमें जमा कर दें।
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहाँ तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
वही मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप भी बनाया।
बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे थे।