यमुना तीन मीटर नीचे, संकट टलने की उम्मीद, कई सड़कें खुलीं, आईटीओ पर मुसीबत बरकरार
यमुना का जलस्तर रविवार शाम पांच बजे तक तीन मीटर से ज्यादा नीचे 205.64 मीटर तक पहुंच गया। बाढ़ का पानी कम होते ही अधिकतर सड़कें यातायात के लिए खुल गई हैं। हालांकि, यमुना बाजार, लाल किला, राजघाट, आईटीओ, भैरो मार्ग रेलवे अंडर ब्रिज और रिंग रोड पर मंकी ब्रिज के नीचे पानी भरा है, लेकिन रिंग रोड पर वाहनों की आवाजाही शुरू हो गई है।
राहत शिविरों में प्रशासन व कई स्वयं सहायता संगठनों की ओर से खानपान व दवाइयों का समुचित इंतजाम किया जा रहा है। यमुना बाजार, कश्मीरी गेट, सिविल लाइन, तिब्बत मार्केट आदि इलाकों में घरों व सड़कों से बाढ़ का पानी निकल गया है, लेकिन अब गाद रह गई है। पानी के प्रेशर से सड़कें साफ की जा रही हैं।
आईटीओ पर लोगों की परेशानी बरकरार है। भारी वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद है। फिलहाल, चौराहे को बैरीकेडिंग कर आवागमन के लिए बंद किया गया है, लेकिन जो लोग अपनी मर्जी से छोटे वाहनों के साथ इधर से जा रहे हैं, उन्हें परेशानी झेलनी पड़ रही है। लोगों के वाहन पानी में बंद हो रहे हैं।
कई सड़कें खोलीं
- भैरों मार्ग खोल दिया गया है।
- हल्के वाहनों के लिए सराय काले खां से आईपी फ्लाईओवर से राजघाट तक रिंग रोड खोली गई।
- शांति वन से मंकी ब्रिज तक रिंग रोड – यमुना बाजार-आईएसबीटी अभी भी बंद है।
- रिंग रोड आईएसबीटी कश्मीरी गेट से तिमारपुर और सिविल लाइन माल रोड की तरफ से खोला गया है।
- मजनू का टीला से हनुमान सेतु तक रिंग रोड बंद है।
- आईपी कॉलेज से चंदगी राम अखाड़े तक कैरिजवे बंद है।
- मुकरबा चौक से वजीराबाद तक आउटर रिंग रोड दोनों कैरिजवे खोल दिए गए हैं।
- चंदगी राम अखाड़े से शांति वन तक कैरिजवे को कीचड़ और धूल के कारण बंद कर दिया गया है, क्योंकि कैरिजवे के खुलने से यात्रियों की सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
- हनुमान सेतु से सलीमगढ़ बाईपास से आईपी फ्लाईओवर तक एक कैरिजवे खोला गया है। निजामुद्दीन जाने वाले यात्री इस सड़क का उपयोग कर सकते हैं और आईपी फ्लाईओवर से विकास मार्ग तक बाएं मुड़ कर लक्ष्मी नगर से मुड़कर अक्षरधाम से एनएच -24 पर जा सकते हैं।
- पुराना लोहे का पुल पुश्ता से श्मशान घाट खोला गया है।
- आईएसबीटी कश्मीरी गेट बंद रहेगा।
वाणिज्यिक वाहन
सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, राजोकरी बॉर्डर, बदरपुर बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, लोनी बॉर्डर, अप्सरा बॉर्डर और भोपुरा बॉर्डर से भारी मालवाहक वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध जारी है।
कश्मीरी गेट के बाहर से शुरू हुई अंतरराज्यीय बस सेवा
रिंग रोड में पानी उतरने से कश्मीरी गेट आईएसबीटी के बाहर से अंतरराज्यीय बस सेवा शुरू हो गई है। बस अड्डे के अंदर हालांकि अब भी पानी जमा है। ऐसे में बसें बाहर से ही यात्रियों के लिए बसें संचालित की जा रही हैं। अभी यहां उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की बसें पहुंच रहीं हैं। यात्रियों को इससे थोड़ी राहत मिली है।
बस अड्डे से पानी पंप से निकाला जा रहा है। जल्द ही सभी बस सेवाओं को शुरू कर दिया जाएगा।कश्मीरी गेट बस अड्डे से कोटद्वार की बस लेने आए दीपक ने बताया कि दो दिन पहले भी यहां आए थे, लेकिन बस नहीं मिलने से रिश्तेदार के घर लौट गए थे। उनकी रेल टिकट भी रद्द कर दी गई थी। ऐसे में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। ब्यूरो
यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन खुला
यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन यात्रियों के लिए खोल दिया गया है। यहां से यात्री अब प्रवेश व निकासी कर सकते हैं। बाढ़ का पानी आने के कारण यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए मेट्रो स्टेशन बंद कर दिया गया था। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने ट्वीट कर यात्रियों को स्टेशन खोलने की सूचना दी।
रूट पर चलीं डीटीसी बसें :
रिंग रोड से पानी उतरने के बाद राजघाट, कश्मीरी गेट, आईपी डिपो की ओर आने-जाने वाले रूट की डीटीसी बसों का संचालन शुरू हो गया है। डीटीसी के एक वरिष्ठ अधिकारी बताया कि रिंग रोड पर चलने वाली बसों के रूट सबसे अधिक प्रभावित हुए थे, लेकिन अभी अधिकतर बसें अपने रूट पर चलने लगी हैं।
राहत शिविरों में परेशानियों का अंबार
यमुना खादर में रहने वाले हजारों बच्चों के स्कूल बैग भी बाढ़ में बह गए। ऐसे में इन बच्चों को अब चिंता सता रही है कि उनकी किताबों-कापियों का क्या होगा। ज्यादातर बच्चों के माता-पिता के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि दोबारा किताबें दिलवा सकें।
मयूर विहार स्थित चिल्ला खादर निवासी सीता देवी ने बताया कि बाढ़ की वजह से खेती-बाड़ी खत्म हुई। साथ ही, बच्चों के बैग सहित अन्य सामान भी बह गया। सरकार ने राहत शिविर लगा दिए। खाने-पीने और दवा की व्यवस्था भी कर दी, लेकिन मवेशियों के खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है। बाढ़ से न सिर्फ चारा खत्म हो गया। जैसे-तैसे इधर-उधर से उनके लिए घास लाकर किसी तरह काम चलाया जा रहा है। मिथुन चौधरी ने बताया कि राहत शिविरों में लोगों के हिसाब से शौचालय बेहद कम हैं। इससे परेशानी हो रही है। महिलाओं के नहाने-धोने में भी दिक्कत हो रही है।
प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। यमुना का पानी तो घटने लगा है, लेकिन खादर में पानी ज्यों का त्यों है। इसके उतरने की संभावना भी कम है। छोटे लाल ने बताया कि राहत शिविरों में रहने वाले ज्यादातर लोग गर्मी की वजह से बीमार हो रहे हैं। पंखे की व्यवस्था बस कुछ ही लोगों के पास है। ज्यादातर लोग तंबुओं में बिना पंखे के रहने को मजबूर हैं। शिविरों में मच्छरों के अलावा कीड़े-मकोड़ों का खासा प्रकोप है।
शरणार्थियों का उजड़ा आशियाना, खाने को भी मोहताज
बाढ़ से मजनू का टीला के पास रहने वाले हिंदू शरणार्थियों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। सबसे अधिक नुकसान नदी से सटे घरों में रहने वाले शरणार्थियों को उठाना पड़ रहा है। यहां करीब 20 घर बाढ़ में बह गए हैं जबकि 30 घरों में बड़ी-बड़ी दरारें आ गई हैं। इससे कई लोग सड़क किनारे शरण लेकर गुजारा कर रहे हैं।
शरणार्थियों का कहना है कि यहां कोई खाना तक नहीं पहुंच रहा है। राजा राम ने बताया कि उन्होंने पांच माह पहले ही घर बनाया था, लेकिन बाढ़ ने पलभर में सब कुछ नष्ट कर दिया। वर्ष 2014 में पाकिस्तान के सिंध से यहां आए थे। बड़ी मेहनत से घर बनाया था।
घर की दरारें दिखाते हुए शरणार्थी महादेव अडवानी ने बताया कि पूरा घर फिर से बनाना होगा। बाढ़ ने कुछ भी नहीं रहने लायक नहीं छोड़ा। खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। हालांकि, पास के स्कूल में एक राहत शिविर है, लेकिन वहां रहने की व्यवस्था नहीं है। शरणार्थी सीमा ने बताया कि छोटे-छोटे बच्चे हैं, यहां कोई रहने की जगह नहीं है।