बाढ़ और बारिश से दिल्ली के सभी अस्पतालों में 20% तक बढ़े त्वचा रोगी, बुजुर्ग और महिलाएं ज्यादा

यमुना में बाढ़ का पानी उतरने के साथ ही अस्पतालों में त्वचा मरीजों की संख्या 20 फीसदी तक बढ़ गई है। बाढ़ और बारिश के कारण अधिकतर मरीजों के चेहरे, गले, हाथ, पैर, ऐड़ी, जांघ सहित अन्य जगहों पर फंगल इन्फेक्शन के मामले देखने को मिल रहे हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें से ज्यादातर मामले गंदे पानी के संक्रमण, ज्यादा समय तक गीले कपड़े पहनने, साफ-सफाई न होने के कारण हो रहे हैंं। संक्रमित होने वालों में बुजुर्ग और महिलाओं की संख्या ज्यादा है। वहीं, कई मरीज संक्रमण के बाद खुद ही बिना किसी डॉक्टर से सलाह के दवा का इस्तेमाल करने के बाद गंभीर होकर पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि थोड़ी सी सावधानी से ऐसे मामलों को रोका जा सकता है।

चेहरे पर भी दिख रहे लक्षण
हिंदूराव अस्पताल में त्वचा रोग विभाग की वरिष्ठ डॉक्टर ऐश्वर्य ने बताया कि इस बार ऐसे मरीज भी आ रहे हैं जिनके चेहरे पर फंगल इन्फेक्शन हैं। इन्हें टीनिया फेसी कहते हैं। इसमें चेहरे पर लाल दाने हो जाते हैं। साथ ही उक्त दाने पर सफेद पपड़ी बन जाती है। इसके अलावा बड़ी संख्या में ऐसे मरीज भी हैं जिनके पैरों और जांघ में ऐसी समस्याएं देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओपीडी में रोजाना करीब 300 मरीज उपचार के लिए आते हैं। इनमें 20 से ज्यादा मरीज फंगल इन्फेक्शन हैं। बारिश और बाढ़ के कारण इस बार मामले बढ़े हुए हैं। इसके अलावा जग प्रवेश, गुरु तेग बहादुर, स्वामी श्रद्धानंद , लोक नायक सहित बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के अस्पतालों में इन मरीजों की संख्या बढ़ गई है।

खुद न लें दवा
त्वचा रोग के विशेषज्ञ डॉ. मनीष जांगड़ा ने बताया कि संक्रमण होने पर खुद दवा न लें। कई बार स्टेरॉयड लेने से संक्रमित जगहों पर खुजली से राहत मिल जाती है, लेकिन संक्रमण बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि बाढ़ और बारिश के कारण इस बार टीनिया पेडिस, टीनिया कैपिटिस, टीनिया क्रूरिस, कैंडिडल इंटरट्रिगो, टीनिया फेसी सहित अन्य मामले ज्यादा देखने को मिल रहे हैं।

फिर हो सकता है संक्रमण
फंगल इन्फेक्शन के मामले दोबारा हो सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अस्पताल आने वाले कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें पहले शरीर के एक हिस्से में संक्रमण हुआ और दूसरी बार आने पर दूसरी जगह पर संक्रमण हुआ है। ऐसा पाया गया है कि कई मरीज बाढ़ के दौरान लंबे समय तक गंदे पानी में रहे हैं। उसके बाद पैरों की अंगुलियों में सफेद दाग सा बन गया जिससे समस्या बढ़ी, वहीं बाद में जांघ पर संक्रमित होकर पहुंचे।

Shanu Jha
Author: Shanu Jha

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