सांसों पर छाया ‘जहरीला’ संकट, ठंड और प्रदुषण के साथ बढ़े 30 फीसदी सांस के मरीज़

 

एम्स शाखा की ओपीडी में प्रतिदिन करीब तीन हजार मरीज उपचार करवाने के लिए आते हैं। इनमें से 250 मरीज सामान्य रोग विशेषज्ञ के पास बुखार, खांसी और सांस का उपचार करवाने के लिए आ रहे हैं। एम्स शाखा के सामान्य रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश ने बताया कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने की वजह से उनकी ओपीडी में सांस रोगी मरीजों की संख्या बढ़ गई है। उनकी ओपीडी में हर रोज 50 से 60 मरीज सांस रोगी के आ रहे हैं। जिनकी उम्र 50 से ऊपर है। दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे प्रदूषण के चलते एम्स शाखा की ओपीडी में सांस और दमे के मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

 

दीपावली से पहले ही दिल्ली-NCR में बढ़ रहा प्रदूषण

 

बढ़ते प्रदूषण की वजह से उन मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। उन्होंने बताया कि पहले सांस रोगी मरीज पंप का इस्तेमाल काफी कम किया करते थे लेकिन अब मरीज दिन दो बार कर रहे हैं। राजीव कॉलोनी निवासी घनश्याम ने बताया कि उनको सांस की परेशानी पहले से थी लेकिन अब प्रदूषण का स्तर बढ़ने की वजह से उनको ज्यादा परेशानी हो रही है। इसी वजह से वह अब सुबह व शाम को सैर करने के लिए भी घर से बाहर नहीं जा रहे हैं। डॉक्टरों की सलाह के अनुसार वह अब दिन में दो बार पंप का इस्तेमाल कर रहे हैं।

सर्दियों में बढ़ जाते हैं 30 प्रतिशत मरीज
बीके अस्पताल के सामान्य रोग विशेषज्ञ डॉ. मोहित अग्रवाल ने बताया कि काला दमा व अस्थमा, मरीजों के लिए प्रदूषण और कम तापमान खतरनाक होता है। अन्य माह की अपेक्षा सर्दियों के चार महीनों (नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी) में अस्पतालों में इनकी संख्या 30 फीसदी तक बढ़ जाती है।
यह है लक्षण
– तेजी से सांस लेना।
– बलगम के साथ खांसी आना।
– सीने में इंफेक्शन व जकड़न होना।
– कमजोरी आ जाना

 

Kanchan
Author: Kanchan

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