दिल्ली विधानसभा में आज जमकर हंगामा हुआ, भाजपा विधायक दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित केस में सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें सदन से बाहर निकल दिया गया।
दिल्ली विधानसभा आज हंगामे के भेट चढ़ा। भाजपा विधायकों ने आज विधानसभा में जम कर हंगामा किया जिसकी वजह से उन्हें मार्शल आउट कर दिया गया। भाजपा विधायक दिल्ली जल बोर्ड से संबंधित केस में सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें सदन से बाहर निकल दिया गया। विधासभा सत्र अस्पतालों और मोहल्ला क्लिनिक में दवाइयों की कमी पर चर्चा करने के लिए बुलाई गयी थी। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि एक साजिश के तहत योजना बनाई गई कि दिल्ली के अस्पतालों में दवाइयां उपलब्ध ना हो।
सदन से भाजपा विधायकों को किया गया मार्शल आउट
भाजपा विधायकों ने दिल्ली विधानसभा में जल बोर्ड का मुद्दा उठाया, जिसके बाद हंगामा शुरू हो गया। हंगामे के बाद सभी विधायकों को सदन से बाहर कर दिया गया। सदन से मार्शल आउट होने के बाद भाजपा विधायकों ने विधानसभा परिसर में मौजूद गांधी प्रतिमा के नीचे जमकर नारेबाजी की और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ दिल्ली जल जल बोर्ड मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की।
मुख्य सचिव और हेल्थ सचिव जानबूझकर दवाइयों की कमी छुपा रहे
सौरभ भार्दवाज ने कहा, “इस बार मुख्य सचिव और हेल्थ सचिव के नाम पर मुकदमा दर्ज कराऊंगा। इस मामले को खाली नहीं जाने देंगे। एलजी को बार-बार लिखा गया है कि मुख्य सचिव और हेल्थ सचिव जानबूझकर दवाइयों की कमी छुपा रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा में मंत्री ने कहा, “पहले अस्पतालों को लोकल परचेज करने का अधिकार होता था, लेकिन भ्रष्टाचार की घटनाएं सामने आने के बाद, दवाइयां का स्टोरेज करने के लिए केंद्रीय परचेज स्कीम शुरू की गई। हैरानी की बात है कि हेल्थ डिपार्टमेंट ने दवाइयां का टेंडर कर दिया था, कभी टेक्निकल तो कभी दूसरी वजह बता कर 1 साल पूरा होने के बाद भी टेंडर को पूरा नहीं किया गया। इस वजह से टेंडर एक्सपायर हो गया। अस्पतालों में पूरी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही है। डॉक्टर कहते हैं की दवाई अस्पताल में उपलब्ध नहीं है मरीज़ मार्केट से खरीद कर लाएं।
वीरेंद्र सचदेवा ने कहा-28,400 करोड़ रुपए का गबन हुआ इसका कोई हिसाब नहीं
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, “2013 तक जलबोर्ड फायदे का सौदा था लेकिन फिर असली खेल शुरू हुआ। 28,400 करोड़ रुपए का गबन हुआ और इसका कोई हिसाब नहीं है। न्यायलय को दी गई जानकारी के अनुसार 73,000 करोड़ रुपए का लोन लिया गया और उसकी वसूली के लिए एक चार्ट तैयार किया गया। इसके मंत्री खुद कोर्ट गए कि हमें पैसा नहीं दिया गया, जबकि उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि सरकारी विभाग लॉ से चलता है। “