दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी कड़कड़ाती ठण्ड और जमकर बारिश चर्चा का विषय बनी रहती है। यहाँ कुछ भी कम नहीं होता सब होता है भरपूर होता है। अभी भी हाल ऐसा है 47 डिग्री तापमान के साथ दिल्ली की गर्मी लोगों को जला नहीं रही बस यही कमी है। पर क्या इतनी गर्मी प्राकर्तिक है? या फिर ये नतीजा है ग्लोबल वार्मिंग का ? आइये जानते है !
देश की राजधानी दिल्ली में हाल ही के दिनों में तापमान में लगातार वृद्धि देखी गई। भारत मौसम विज्ञान विभाग ने जानकारी दी कि दिल्ली में इस पिछले हफ्ते अधिकतम तापमान 47 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया तापमान में वृद्धि के कारण शुष्क मौसम और गर्म हवाएं चल रही है। मौसम विभाग ने दर्ज किया कि मई महीने की19 तारीख का दिन दिल्ली का सबसे गर्म दिन था। नजफगढ़ इलाके का अधिकतम तापमान 47.8 डिग्री रहा।
क्या कारण है दिल्ली के बढ़ते तापमान का ?
अर्बन हीट आइलैंड विषय पर किये गए एक अध्ययन में दिल्ली के विभिन्न इलाकों में बढ़ते तापमान की एक नई वज़ह सामने आई है और यह है भू-उपयोग में तेज़ी से बदलाव। अर्बन हीट आइलैंड (UHI) ऐसे महानगरीय क्षेत्र को कहा जाता है, जो मानवीय गतिविधियों के कारण अपने आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अत्यधिक गर्म होता है।
दिल्ली में बढ़ती गर्मी के कई कारण है- अध्ययन से प्राप्त परिणामों के अनुसार, उन क्षेत्रों के तापमान में वृद्धि हुई है जहाँ भू उपयोग में बड़े पैमाने पर बदलाव हुआ है।
भू उपयोग में परिवर्तन का प्रभाव जिन क्षेत्रों में सबसे अधिक देखा गया है वे क्षेत्र हैं पश्चिमी, दक्षिणी तथा उत्तरी दिल्ली।
हरे-भरे तथा कृषि योग्य स्थानों पर औद्योगिक इकाइयाँ लगाने, रिहायशी कालोनी विकसित करने तथा विकास से संबंधित अन्य कार्यों के कारण इन भू-भागों के उपयोग में बदलाव हुआ जिसके परिणामस्वरूप इन स्थानों के तापमान में भी एक से तीन डिग्री तक वृद्धि देखी गई।
पेड़-पौधे तथा फसलें वातावरण में उपस्थित नमी को सोखकर वाष्पीकरण के माध्यम से वातावरण को अनुकूल बनाए रखने में मदद करते हैं लेकिन इनके स्थान पर भवन निर्माण या औद्योगिक इकाई विकसित करने पर इनके निर्माण में प्रयुक्त होने वाली ईंटें, कंक्रीट तथा टाइल्स इत्यादि ऐसा नहीं करती हैं, अतः इन स्थानों का तापमान बढ़ जाता है। तो वहीं दिल्ली का पड़ोसी राज्य राजस्थान जहां की रेतीली इलाकों से आने वाली गर्म हवाएं दिल्ली में गर्मी बढ़ाती है।
इसके आलावा लगातार आस पास के क्षेत्रों के जंगल का जलना। हर साल जंगलों में आग लगने की घटनाएं हर साल बढ़ रही है। कई बार ऐसा ज्यादा गर्मी के कारण होता है तो कई बार कुछ लोगों की घटिया शरारतों की वजह से होता है। इस साल भी दिल्ली के उत्तर पूर्व में स्थित राज्य उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग कुछ लोगों द्वारा लगायी गई और यह आग इतनी भयानक हो गई की बुझने का नाम नहीं ले रही है उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की वजह से दिल्ली के मौसम में प्रभाव पड़ रहा है जिसके कारण दिल्ली के तापमान में वृद्धि हो रही है और बारिश की कमी बताई जा रही है
तापमान में कमी लाने के लिये सुझाव
बढ़ते तापमान में को काम करना आज की जरुरत है। कृषि योग्य भूमि को खाली और सूखा नहीं रखना चाहिए क्योंकि जिन स्थानों पर खाली कृषि भूमि अधिक तथा हरियाली कम देखी गई है उन्हीं स्थानों के तापमान में वृद्धि हुई है। यदि किसी कृषि योग्य भूमि पर लंबे समय तक किसी प्रकार की फसल न उगाई जाए तो ऐसे स्थानों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिये। हरित क्षेत्रों में वृद्धि की जाए। सडकों के किनारे किया जाने वाला पौधरोपण भी तापमान में हो रही वृद्धि को रोकने में सहायक हो सकता है।
फुटपाथ पर सीमेंट वाली ईंटों के स्थान पर इंटरलॉकिंग टाइल्स का इस्तेमाल किया जाना चाहिये जिससे वर्षा का पानी इनके बीच के अंतरालों से होता हुआ ज़मीन के अंदर प्रवेश कर सके। छत पर किये जाने वाले पौधरोपण को बढ़ावा दिया जाए।
ग्रीन बिल्डिंग कोड को बढ़ावा देते हुए घर तथा ऑफिस की दीवारों पर हल्के रंगों का प्रयोग किया जाना चाहिये।
पर इसके लिए सरकार की तरफ से जितने प्रयास किये जाने चाहिए उनकी तरफ से नहीं हो रहे है। पिछले कई सालों में लगातार दिल्ली में जनसँख्या बढ़ी, ट्रैफिक बढ़ा, प्रदुषण बढ़ा जो नहीं बढ़ी वो दिल्ली के विकास की गाडी। केंद्र और राज्य सरकार के बीच में दिल्ली के लोगों की ज़िन्दगी झूल रही है। इनके आरोप-प्रत्यारोप में दिल्लीवाले तपती धूप में जल रहे है।