सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था को सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि दिल्ली एनसीआर में भी ठीक करनी होगी। गाजियाबाद और नोएडा समेत अन्य एनसीआर के शहरों में भी लोग अपने निजी वाहनों से आवाजाही करना पंसद करते हैं। राजधानी की परिवहन व्यवस्था लोगों की जरूरतों को पूरा करती नजर नहीं आ रही है। और यहीं कारण है कि सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में सड़कों से वाहनों को कम करने के लिए सार्वजनिक व्यवस्था को मजबूती देना बेहद जरुरी हो गया गया है। साथ ही बेहद जरुरी है कि इस ओर विशेष तौर पर ध्यान दिया जाए यदि ध्यान नहीं दिया जाएगा तब तक निजी वाहनों की संख्या में कमी नहीं आएगी। यह सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था को सिर्फ दिल्ली में ही नहीं बल्कि एनसीआर में भी ठीक करनी होगी। इसकी वजह साफ है कि गाजियाबाद और नोएडा समेत अन्य एनसीआर के शहरों में भी लोग अधिकतर
अपने निजी वाहनों से आवाजाही करते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि लोग अपने निजी वाहनों से अपने घर से सीधा कार्यालय बिना किसी परेशानी के पहुंच जाते हैं। सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को भी इसी तरह से करना होगा। तभी स व्यवस्था में सुधार होगा। वहीं, दिल्ली में मेट्रो की बात की जाए तो यह अभी आधी आबादी से दूर है। अपने घरो से लोग मेट्रो पहुंचने के लेए लोग रिक्शा या ई-रिक्शा का सहारा लेते हैं। लोगों का मेट्रो में यात्रा करने का एक कारण यह भी है कि मेट्रो से लोग कम समय में अपने कार्यालय पहुंच सकते है। और ऐसी सुविधा उन्हे दिल्ली की बसे देने में अस्मर्थ है। साथ ही बसों की संख्या काफी कम है। सड़कों पर लगने वाले जाम के कारण भी लोग बसों में यात्रा नहीं करते हैं।
वहीं, इस समस्या से निपटने के लिए और दिल्ली में लास्ट माइल कनेक्टिविटी को मजबूत करने के उदेश्य से दिल्ली सरकार ने करीब दो हजार मोहल्ला बस शुरू करने की योजना बनाई थी। जिसके तहत पांच से छह रूटों पर मोहल्ला बसें चलाई जानी थी। साथ ही सरकार का दावा था कि बसें इसी साल से चलाई जाएंगी, लेकिन अभी तक यह शुरू नहीं हो पाई है। इस योजना का उद्देश्य यह है कि जिन जगाह पर सार्वजनिक परिवहन सेवा मौजूद नहीं है वहां पर इन बसों का संचालन किया जाए। वर्तमान समय में दिल्ली में एक लाख जनसंख्या पर करीब 45 बसें संचालित की जाती है, जो आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के प्रति लाख जनसंख्या पर 60 बसों के मानक से कम है।
बसों की संख्या मानक से कम है जिसकी वजह से बसों का समय से न पंहुचना, बस में भीड़ का अधिक होना जैसी समस्या का सामना लोगों को करना पड़ता है। बसों में भीड़ के कारण आए दिन चोरी चकारी के मामले सामने आते है। दिल्ली में फिलहाल डीटीसी की 4,536 बसें चल रही हैं। जिसमें से 2966 सीएनजी बसें है और 1,570 इलेक्ट्रिक बसें हैं।