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]]>वहीं, अब अगले तीन दिनों तक दिल्ली-एनसीआर में ठंड पड़ने के साथ कोहरे की मार पड़ेगी। इसको लेकर मौसम विभाग ने तीन दिनों के लिए घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी कर दिया है। आईएमडी के अनुसार, दिल्ली के कुछ हिस्सों में कोहरा छाया रहा और न्यूनतम तापमान गिरावट के कारण 5 डिग्री सेल्सियस पर आ पहुंचा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, दिल्ली के कई हिस्सों में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज हुई है।
आज सुबह दिल्ली के कई इलाको में एक्यूआई 400 के उपर दर्ज हुआ है जिनमें आनंद विहार में 481, आया नगर में 412, अशोक विहार में 459, बवाना 454, चांदनी चौक 376, बुराड़ी 480, आईटीओ 461, नेरेला 451, आरकेपुरम में 464 एक्यूआई दर्ज हुआ है। दिन पहले मंगलवार को दिल्ली में दिन के समय सबसे ठंडा इलाका नरेला और पूसा रहा। यहां पर तापमान 21.1 और 21.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जबकि आया नगर में सबसे कम न्यूनतम तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इससे पहले सोमवार को अधिकतम तापमान सामान्य तापमान से एक डिग्री अधिक 24.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान सामान्य से चार डिग्री कम 4.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। जिसके बाद मौसम विभाग के मुताबिक दो से तीन दिनों तक पूर्वी सतही हवाओं के चलने की संभावना है।
जिस वजह से 18 से 20 दिसंबर तक घने कोहरे की संभावना की उम्मीद की गई है। वहीं प्रदूषण से भी राहत नहीं मिलेगी। हिमालयन क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ की वजह से मैदानी इलाकों में सुबह व शाम के समय हल्के बादल छा सकते हैं। दिसंबर 18 से 23 तक अधिकतम तापमान 22 से 23 डिग्री और न्यूनतम तापमान पांच से सात डिग्री के मध्य ही रहने की उम्मीद है। वहीं तापमान में गिरावट आने की बजह से ठिठुरन भी बढ़ेगी।
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]]>वहीं, दिल्ली के कुछ इलाकों में न्यूनतम तापमान चार डिग्री के करीब रिकॉर्ड हुआ। इधर, राजधानी दिल्ली में अगले पांच दिन तक बढ़ती ठंड के कारण ठिठूरन रहेंगी।इस बढ़ती ठंड को देखते हुए है मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि सोमवार को न्यूनतम के साथ अधिकतम तापमान में गिरावट देखने को मिलेगी और कुछ स्थानों पर सुबह स्मॉग, हल्के मध्यम स्तर पर कोहरा रहने की संभावना है। वहीं, सुबह के साथ साथ शाम और रात को भी स्मॉग का अनुमान है। एक दिन पहले रविवार को सुबह और शाम धुंध रही। हालंकि, धुप खिलने के बाद मौसम में बदलाब देखने को मिला। धुंध छाने के बाद मौसम में आए इस बदलाव के पार्क में बच्चों से लेकर युवक तक खेलते नजर आए। शाम होते ही लोगों को अच्छी खासी ठंड़ महसूस होने लगी। वहीं, अधिकतम तापमान 23.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
सोमवार को अधिकतम तापमान 23 डिग्री और न्यूनतम तापमान 5 डिग्री रहने का अनुमान है। ऐसे में यह बढ़ती ठंड लोगों को ठिठूरन महसूस करवाएंगी राजधानी में तापमान में गिरावट आने के साथ ही मौसमी की दशाओं के बदलने से हवा एक बार फिर से बेहद खराब श्रेणी की दहलीज पर पहुंच गई है। वहीं, लोगों को फिर से प्रदूषित हवा का सामना करना पड़ेगा। वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अगले छह दिनों तक हवा के बेहद खराब होले का चिंता जताई है। रविवार को लोगों ने खराब हवा में सांस ली। इस दौरान (एक्यूआई) वायु गुणवत्ता सूचकांक 294 दर्ज किया गया।
रविवार को हवाएं उत्तर-पूर्व दिशा से छह किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से चलीं। शाम को हवा की गति कम होने से प्रदूषण संघन हो गया। सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक आनंद विहार और वजीरपुर सहित 20 इलाकों में हवा बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई है। जबकि नरेला, आया नगर, डीटीयू समेत 10 इलाकों में हवा खराब श्रेणी में रही। भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (आईआईटीएम) के अनुसार वेंटिलेशन इंडेक्स एक हजार वर्ग मीटर रही। यह औसत से कम है। वहीं, अगले 24 घंटे में यह 500 वर्ग मीटर दर्ज की जा सकती है।
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]]>The post दिल्ली में फिर शुरु होंगे निर्माण कार्य, अब सभी ट्रको को मिलेगा दिल्ली में प्रवेश। first appeared on दिल्ली अप टू डेट - Delhi Up To Date.
]]>सीएक्यूएम की उप समिति ने यह निर्णय गुरुवार शाम को बैठक में लिया। सीएक्यूएम के अनुसार, डीजल वाले चारपहिया वाहनों व उद्योगों पर भी पाबंदी हट गई है। अब बड़े वेल्डिंग और गैस कटिंग के काम हो सकेंगे। साथ ही सीमेंट, प्लास्टर और अन्य कोटिंग का काम हो सकेगा। निर्माण व विध्वंस परियोजना स्थल और औद्योगिक इकाइयां जिन्हें कई वैधानिक दिशा-निर्देशों के उल्लंघन करने के कारण विशेष रूप से बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं, वे किसी भी परिस्थिति में आयोग से बिना अनुमति के काम शुरू नहीं कर सकेंगे। वहीं, सीएक्यूएम की उप-समिति वायु गुणवत्ता पर कड़ी नजर रखेगी। साथ ही पूर्वानुमान के आधार पर भविष्य में उचित निर्णय के लिए समय-समय पर स्थिति की समीक्षा करेगी।
ग्रेप के विभिन्न चरणो में प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए कई तरह की पाबंदिया लगाती है। जिसमें ग्रेप के पहले चरण के अंतर्गत 500 वर्गमीटर के बराबर या उससे अधिक के भूखंड आकार वाले निजी निर्माण व विध्वंस परियोजनाओं के काम पर रोक रहती है। इस चरण में उन कार्यों पर रोक रहती है, जो धूल शमन उपायों की दूरस्थ निगरानी के लिए राज्य सरकार के पोर्टल पर पंजीकृत नहीं होते। होटल, रेस्तरां और खुले भोजनालयों में तंदूर में कोयले के उपयोग पर पूर्ण रुप से रोक है।
अब तक यह छूट 125 से 800 किलोवॉट के जनरेटरों के लिए ही थी यानी नियमों का पालन करने वाले अधिक जेनरेटर इस बार चल सकेंगे। साथ ही 19 से 62 किलोवॉट की क्षमता वाले ड्यूल फ्यूल के डीजल सेट पर रोक नहीं रहेगी। इस रेंज के जो जनरेटर डुअल फ्यूल पर नहीं होंगे और पीएनजी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं होगा, वहां पर आपातकालीन सर्विसेज के लिए इनका उपयोग किया जा सकता है।
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]]>The post राष्ट्रीय प्रदूषण दिवस ; नहीं बदले दिल्ली के हलात, प्रदूषण की चादर में अभी तक लिपटे लोग। first appeared on दिल्ली अप टू डेट - Delhi Up To Date.
]]>वहीं, वायु प्रदूषण हर साल दिल्ली को गैस चैंबर बना रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि समय तो बदला, लेकिन हालात नहीं बदल रहें। केवल प्रदूषण कागज में ही नियंत्रित होते दिखते है। प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों के निपटारे में सबसे फिसड्डी दिल्ली जल बोर्ड नजर आती है। दिल्ली जल बोर्ड के बाद नंबर आता है दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) का जिसके चलते परिस्थितियां निरंतर विकट होती जा रही हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, प्रदूषण के मामले में सबसे अधिक शिकायतें एमसीडी को प्राप्त हुई हैं। इसमें 4415 शिकायत में से केवल 2427 शिकायतों का निस्तारण किया गया है। 45 फीसदी अभी भी सुलझी नहीं हैं।
डीजेबी को 192 शिकायतें मिलीं। इसमें 56 प्रतिशत शिकायतों पर अभी तक एजेंसी ने ध्यान ही नहीं दिया है। प्रदूषण से संबंधित शिकायतों का निपटारा केवल कागजों और फाइलों में स्थिति को सुधारा जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर समय से शिकायतों को सुलझाया नहीं जाता तो स्थिति और खराब होती है। यह आंकड़े विभागों व एजेंसियों के दावों की पोल खोलते नजर आ रहे हैं। यमुनोत्री से निकलकर संगम तक जाने वाली यमुना नदी का दो फीसदी हिस्सा दिल्ली से होकर गुजरता है, लेकिन यमुना में प्रदूषण फैलाने में राजधानी का ही सबसे बड़ा हिस्सा माना जाता है।
एक अध्ययन के अनुसार यमुना लगभग 80 फीसदी प्रदूषित केवल दिल्ली में होती है। दिल्ली में अगर यमुना नदी को देखा जाए तो उसमें भारी मात्रा में सफेद झाग नजर आता है। वह और कुछ नहीं बल्कि पानी में अमोनिया की मात्रा बढ़ने की वजह से बनने वाला झाग होता है।
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]]>The post आज से स्कूल-कॉलेजो में हाइब्रिड मोड पर चलेंगी कक्षाएं, ग्रैप की पाबंदियों से मिलेगी राहत। first appeared on दिल्ली अप टू डेट - Delhi Up To Date.
]]>वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के तीसरे और चौथे चरण की पाबंदियों में ढील दे दी है। आदेश में आयोग ने शैक्षणिक संस्थाओं और स्कूलों-कॉलेजों की सभी कक्षाएं हाइब्रिड तरीके में शुरू करने की अनुमति दी है। अब दिल्ली के साथ गाजियाबाद, नोएडा, गुरुग्राम और फरीदाबाद में 12वीं तक के स्कूल ऑफलाइन व ऑनलाइन पढ़ाई कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने दिन में ही आयोग से कहा, मिड-डे मील से वंचित व ऑनलाइन शिक्षा ग्रहण करने में असमर्थ छात्रों की परेशानियों को ध्यान में रखते हुए स्कूल खोलने की अनुमति देने पर विचार करे।
पाबंदियों में ढील देने की वजह को साफ बताते हुए आयोग ने कहा, कि कक्षाएं ऑनलाइन होने से बड़ी संख्या में छात्र मिड-डे मील और ऑनलाइन कक्षाओं का लाभ नहीं उठा पा रहे थे। साथ ही, ग्रेप की पाबंदियों से शैक्षणिक गतिविधियों और शिक्षा की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित कर रही थी। जिसमें सबसे अधिक प्रभावित कक्षा 10वीं और 12वीं की हो रही थी। उन्हें आगे बोर्ड परीक्षाओं का सामना करना है।
बोर्ड की परीक्षाओं में बच्चो अपना बेहतर प्रदर्शन कर सकें, इसके लिए जरूरी है कि उनकी पढ़ाई किसी भी तरह से प्रभावित न हो और शैक्षिक सस्थानों से उन्हें पुरी तरह से सहयोग प्राप्त हो सकें। शैक्षणिक गतिविधियों को प्रभावित होने से रोकने के लिए अयोग ने यह फैसला लिया है। संभावना है कि प्रदूषण के स्तर पर काबू पाने के बाद आयोग जल्द ही स्कूलो को दुबारा से समान्य तरह से चलाने का आदेश जारी कर देगी।
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]]>The post दिल्ली की हवा हुई बदतर, दिल्ली में रहना हुआ मुश्किल, AQI पहुंचा 400 पार। first appeared on दिल्ली अप टू डेट - Delhi Up To Date.
]]>दिल्ली की इस जहरीली हवा ने बनाया लोगों को मरीज़
जैसा की प्रदूषण के चलते दिल्ली के कई ईलाको में धुंध छा गई है। विजिबिलिटी घटकर 150 मीटर रह गई है। दिल्ली के इस खतरनाक प्रदूषण की वजह से लोगों को कई प्रकार की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ सांस के मरीज बढ़ गए हैं। डक्टरों के अनुसार ओपीडी में ऐेसे मरीजों की संख्या 25 से 30 फीसदी तक बढ़ गई है। वहीं इनमें ऐसे मरीज शामिल हैं जिन्हें पहले कभी सांस की परेशानी नहीं थी। प्रदूषण के चलते सबसे ज्य़ादा सांस लेने में होने वाली दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
वहीं इन सभी सम्सायों से निपटने के उदेश्य से दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। केवल जरूरी सामान लेकर आने वाले ट्रकों और एलएनजी, सीएनजी और इलेक्ट्रिक ट्रकों को आने की अनुमति रहेगी। ग्रैप-4 के बाद सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले ट्रक, वाणिज्यिक चार पहिया वाहनों का दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा। इस दौरान दिल्ली के आसपास के अन्य राज्यों से केवल सीएनजी, इलेक्ट्रिक, बीएस-6 वाहनों को एंट्री की इजाजत मिलेगी।
वायु प्रदूषण गंभीर श्रेणी की दहलीज तक पहुंच चुका है। मौसम विभाग के अनुमान के अनुसार आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अति गंभीर श्रेणी में बना रह सकता है। एक्यूआई का 450 से ऊपर रहना को अति गंभीर माना जाता है और ऐसा होने पर ग्रैप का चौथा चरण लागू होता है। इसलिए ग्रैप 4 के तहत दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर रोक लगा दी जाती है और सिर्फ जरूरी सामान की आपूर्ति वाले सीएनजी वाहनों को प्रवेश की अनुमती दी जाती है।
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]]>The post दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर लगा बैन, 1 जनवरी तक रहेगा लागू-पर्यावरण मंत्री गोपाल राय गोपाल first appeared on दिल्ली अप टू डेट - Delhi Up To Date.
]]>दिल्ली सरकार तैयारी करेगी कार्ययोजना
दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय के अनुसार इस प्रतिबंध को कड़ाई से लागू करने के लिए दिल्ली पुलिस, दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और राजस्व विभाग मिलकर कार्य करेंगे। इस संबंध में सभी संबंधित विभागों की तरफ से मिलकर कार्य योजना तैयार की जाएगी। सरकार की तरफ से इस संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे। सरकार की तरफ से गठित टीमें प्रतिबंध को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगी। इसके लिए दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की तरफ से अधिसूचना भी जारी की जाएगी।
बैन के बावजूद फूटते हैं पटाखे
दिल्ली में सर्दियों के समय हर बार प्रदूषण बढ़ जाता है। राजधानी में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में सरकार की तरफ से प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए अलग-अलग उपाय किए जाते हैं। ऐसे में दिवाली के समय पटाखों की खरीद-बिक्री पर रोक भी एक उपाय होता है। इसके बावजूद दीवाली के दिन लोग पटाखे फोड़ने से बाज नहीं आते हैं। तमाम प्रतिबंधों और दिशा-निर्देश के बावजूद हर साल दिवाली पर भारी प्रदूषण देखने को मिलता है। पिछले साल भी दिवाली के दिन खूब पटाखे फोड़े गए थे।
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